tag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post8712488849719886035..comments2023-10-22T21:14:22.947+05:30Comments on इर्द-गिर्द: पाँच रुपये की शादीHari Joshihttp://www.blogger.com/profile/13632382660773459908noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-7600327141460444652008-11-23T23:08:00.000+05:302008-11-23T23:08:00.000+05:30... नेता-अभिनेता पाँच या पाँच करोड क्या फर्क पडता ...... नेता-अभिनेता पाँच या पाँच करोड क्या फर्क पडता है, क्या सही-क्या गलत क्या फर्क पडता है।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-86830888200220119932008-11-22T22:13:00.000+05:302008-11-22T22:13:00.000+05:30बात टिकैत के यहा की शादी की नही है। यह हमारे देश क...बात टिकैत के यहा की शादी की नही है। यह हमारे देश के नेताआे का चरित्र है। उनकी कथनी एव करनी में बहुत फर्क है। टिकैत को दुलहे का हैलिकाप्टर नही दीखता नही भीड नजर आती है। नेता भी तो वही देखते है जिसमे उनकी भलाई हो।अच्छे लेख के लिए साधुवादbijnior districthttps://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-57907201649609995242008-11-22T20:09:00.000+05:302008-11-22T20:09:00.000+05:30देखिए बाबा टिकैत की अच्छाईयां इतनी हैं कि इस घटना ...देखिए बाबा टिकैत की अच्छाईयां इतनी हैं कि इस घटना को नज़रअंदाज कर दिया जाए तो ही बेहतर है।<BR/>उनका किसानों के लिए किए गए कार्य अलग हैं और उनका जीवन अलग। बेहतर है आप शाहरुख खान से जाकर पूछें कि जब देश की एक चौथाई जनता कच्ची छत/बिना छत के रात गुज़ारती है, ऐसे में एक रात के 18 लाख रुपये वाले सुइट में ठहरने का क्या मतलब?Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-92200127123639396122008-11-17T12:56:00.000+05:302008-11-17T12:56:00.000+05:30यह दिखावे की मार देखने वाले और अनुकरण करने वाले गर...यह दिखावे की मार देखने वाले और अनुकरण करने वाले गरीब के लिए जानलेवा साबित होगी । जिनके पास अनाप-शनाप पैसा है,उनके लिए तो यह धन को ठिकाने लगाने की कला है ।<BR/>-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-77141074570863489662008-11-16T21:08:00.000+05:302008-11-16T21:08:00.000+05:30ऋचा जी इन सच्ची बातों का जनता के सामने आना बहुत जर...ऋचा जी <BR/>इन सच्ची बातों का जनता के सामने आना बहुत जरूरी है<BR/>आपने आईना दिखाया<BR/>आप को नमनयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-28543764803282086652008-11-16T20:54:00.000+05:302008-11-16T20:54:00.000+05:30जन जाग्रति पैदा करने के लिए आप को बधाई .यदि अखरता ...जन जाग्रति पैदा करने के लिए आप को बधाई .<BR/>यदि अखरता है तो शुरुआत तो खुद से ही करनी होगी।<BR/>बहुत अच्छा संदेश देती हुई aapkee rachnaaअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-59663209920320483382008-11-16T20:09:00.000+05:302008-11-16T20:09:00.000+05:30ऋचा जी भूल चूक के लिए माफी. लेख आपका है, मै हरि जो...ऋचा जी भूल चूक के लिए माफी. लेख आपका है, मै हरि जोशी भाई को बधाई दे गया. वैसे आप दोनों अलग कहाँ हैं ? घर की बात है. बहुत अच्छे लेख के लिए ऋचा जी आपको बहुत बधाई.ओमकार चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/00252694907504968476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-45628723030357527502008-11-16T13:20:00.000+05:302008-11-16T13:20:00.000+05:30सही मुद्दा उठाया है आपने. आजकल के नेताओं की दिक्कत...सही मुद्दा उठाया है आपने. आजकल के नेताओं की दिक्कत यही है. वे कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं. हमने और आपने टिकैत को काफी करीब से देखा है. शुरू के और आज के टिकैत में जमीन आसमान का अन्तर है. उनके असर के कम होने की वजह भी यही है. दूसरों को उपदेश देना आसान है, उस पर ख़ुद अमल करना बहुत मुश्किल. खासकर आजकल नेताओं के लिए. गाँधी इसलिए राष्ट्रपिता हैं, क्योंकि वे जो कहते थे, उस पर अमल भी करते थे. टिकैत बाबा को भी शुरू में लोग महात्मा मान बैठे थे. कभी-कभी होता है ऐसा भी. दुःख होता है, इस आन्दोलन के इस पतन को देख कर. जोशी जी अच्छी पोस्ट के लिए बधाई. सही सवाल उठाया आपने.ओमकार चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/00252694907504968476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-69118768781562350902008-11-16T11:07:00.000+05:302008-11-16T11:07:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-9568109789694193932008-11-15T23:38:00.000+05:302008-11-15T23:38:00.000+05:30भाटिया साहब कहते हैं कि शिक़वा जायज़ हो तो भी लाज़ि...भाटिया साहब कहते हैं कि शिक़वा जायज़ हो तो भी लाज़िम है सऊर । विरोध और बेहतर भाषा में किया जा सकता है।एस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-75889320741784889102008-11-15T22:40:00.000+05:302008-11-15T22:40:00.000+05:30achchha hai.achchha hai.Bahadur Patelhttps://www.blogger.com/profile/13259752722633307367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-84883200910820144732008-11-15T19:47:00.000+05:302008-11-15T19:47:00.000+05:30ये सही है कि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है ले...ये सही है कि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है लेकिन राज भाटिया जी को शब्दों के चयन में शालीनता को दरकिनार नहीं करना चाहिए। सभ्यता के साथ भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं। ये सही है कि चौधरी टिकैत को एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए था जो वे नहीं कर सके।sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/16665394417315368308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-14219692755359680522008-11-15T17:14:00.000+05:302008-11-15T17:14:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-53034276533255501402008-11-15T16:01:00.000+05:302008-11-15T16:01:00.000+05:30This comment has been removed by a blog administrator.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-25389757372048764912008-11-15T15:33:00.001+05:302008-11-15T15:33:00.001+05:30जब उनसे पूछा गया कि पचास हजार लोगों के भोज का आयोज...जब उनसे पूछा गया कि पचास हजार लोगों के भोज का आयोजन किसके लिए था और कौन लोग शामिल हुए तो बाबा टिकैत मासूमियत से बोले कि सभी घर के लोग हैं। कितना खर्च हुआ? किसान नेता का जबाव था कि पांच रूपये की शादी है। कोई दिखावा नहीं। सादगी के साथ।<BR/><BR/>बहुत सटीक लिखा आपने ! उपरोक्त कथन ही साबित करता है की नेता आख़िर नेता होता है चाहे किसानो का हो या आम लोगो ! आपको बहुत धन्यवाद !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8541976845351444163.post-73057693759721684412008-11-15T15:33:00.000+05:302008-11-15T15:33:00.000+05:30bahut accha lekhsamayik bhiregardsbahut accha lekh<BR/>samayik bhi<BR/>regardsmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.com