Sunday, June 23, 2019

modern hindi poem पाठशाला खुला दो महाराज







हिंदी कविता : पाठशाला खुला दो महाराज

पाठशाला खुला दो महाराज
मोर जिया पढ़ने को चाहे!

आम का पेड़ ये
ठूंठे का ठूंठा
काला हो गया
हमरा अंगूठा

यह कालिख हटा दो महाराज
मोर जिया लिखने को चाहे
पाठशाला खुला दो महाराज
मोर जिया पढ़ने को चाहे!

से जमींदार
से कारिन्दा
दोनों खा रहे
हमको जिन्दा

कोई राह दिखा दो महाराज
मोर जिया बढ़ने को चाहे
पाठशाला खुला दो महाराज
मोर जिया पढ़ने को चाहे!

अगुनी भी यहाँ
ज्ञान बघारे
पोथी बांचे
मन्तर उचारे

उनसे पिण्ड छुड़ा दो महाराज
मोर जिया उड़ने को चाहे
पाठशाला खुला दो महाराज
मोर जिया पढ़ने को चाहे!

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