Friday, September 6, 2019

Classic Shayari of all time great for status, मिर्ज़ा ग़ालिब के 5 बेमिसाल शेर


उर्दू शायरी हिंदी में बहुत लोकप्रिय है। उर्दू और हिंदी मिलकर हिंदुस्तानी जुबान बनते हैं जहां ग़ालिब तब्दील हो जाता है गालिब में, मिर्ज़ा बन जाते हैं मिर्जा लेकिन सच यह है कि ग़ालिब की उर्दू शायरी हिंदी में या हिंदुस्तानी या कहिए हिन्दवी में बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर या अशआर सीधे दिल में उतरकर दिमाग को झकझोरते हैं। पेश हैं ग़ालिब के 5 बेमिसाल शेर-


हुई  मुद्दत  कि  'ग़ालिब'  मर गया  पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता

हमको  मालूम  है   जन्नत   की  हक़ीक़त   लेकिन
 दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

हजारों ख़्वाहिशें ऐसी कि  हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले

हाथों  की  लकीरों  पे    मत  जा    गालिब
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते

दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए

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तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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