Saturday, August 16, 2008

भोले के नाम एक पाती

शिव जी के बारे में कहा जाता है जितने गरम उतने ही नरम। सीधे इतने कि नाम के साथ ही भोले जुड़ा है। कल्याण के देवता हैं, दूसरों के हिस्से का हलाहल पीकर भी मस्त रहते हैं। दुनिया के मालिक हैं, लेकिन कुछ लोगों ने उनका नाम कुछ एकड़ ज़मीन की लड़ाई में फंसा लिया है। मेरे जैसे भक्त उनके नाम पर चल रहे तांडव को पचा नहीं पा रहे हैं। उनके कलयुगी गण तो मेरी क्या सुनेंगे, सोचता हूं सीधे भोले से ही बात कर लूं।

भगवन नीचे झांककर तो देखिये

भगवान भोले शंकर कैलाशपति
सादर चरण स्पर्श

आशा है आप कैलाश पर्वत पर या जहां भी कहीं इस वक्त होंगे मां पार्वती, श्री गणेश जी और कार्तिकेय जी के साथ आनंद से होंगे और हम जैसे भक्तों के लिये आनंदमय भविष्य का ग्राफ बना रहे होंगे। लेकिन भगवन मैं आनंद से नहीं हूं। इस बार सावन का मेह ज्येष्ठ-आषाढ से ही बरस रहा है लेकिन मेरा मन रो रहा है। मैंने क्या मेरे जैसे आपके किसी अन्य घनघोर भक्त ने भी आपका तांडव ना कभी देखा है, ना देखना चाहते हैं और ना ही कभी उसके बारे में सोचा है। कल तक तो हम घर के ड्राइंग रुम में रखी नटराज की मूर्ति की भावभंगिमा से ही तांडव का अंदाज़ लगा पाते थे, जिसमें आपके तांडव की महज़ एक अदा नज़र आती है। लेकिन पहले जम्मू और बाद में यानी दो-तीन दिन पहले देश के कई शहरों की सड़कों पर जो कुछ देखा उससे सहज़ अंदाज़ हो गया कि असली तांडव कैसा होता होगा।
भगवान ज़रा नीचे झांककर तो देखिये ज़रा सी ज़मीन के लिये आपके नाम पर आपके कलयुगी गण क्या तांडव मचा रहे हैं। आपने जिन लोगों के लिये दुनिया जहान का ज़हर पी लिया वो आपके नाम पर किस तरह से ज़हर फैला रहे हैं। आप तो कल्याण के देवता हैं लेकिन आपके कलयुगी गण तो उस दिन मरीज़ों को अस्पताल तक जाने से रोक रहे थे। भगवन, उस दिन अंबाला और कानपुर में दो लोग इसलिये यमराज के पास चले गये कि उनको समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने दिया गया। आप तो जीवन देते हैं और आपके कलयुगी गण आपके नाम पर मौत।
भगवान आप तो समंदर से लेकर हिमालय तक सबके मालिक हैं। सौ-पचास एकड़ ज़मीन में तो आपके नादिया के चरने लायक घास भी नहीं उग पायेगी। इतनी सी जगह तो श्री गणेश जी के चूहे के बिल के लिये भी पूरी नहीं होगी। लेकिन ज़रा नीचे झांककर देखिये आपके कलयुगी गण तो उसके लिये कोहराम मचाये हुए हैं। आप वहां नंगे बदन इतनी सर्दी, गरमी, बारिश में हमारे लिये तप करते हैं और आपके कलयुगी गण आपके मंदिर तक की यात्रा को पिकनिक की तरह मौजमस्ती वाली बनाना चाहते हैं। अमरनाथ से भी आजकल जल्द ही रवाना हो जाते हैं, मुझे पता है धर्म और आस्था के नाम पर धंधे की गरमी आपसे बर्दाश्त नहीं होती। आप नाराज़ हैं क्योंकि आपके मंदिर के पास भट्टियां जलाकर छोले भटूरे तले जा रहे हैं, डोसा और चीले बन रहे हैं, पकौड़ियां छानी जा रही हैं, पित्ज़ा बन रहे हैं और दूध फेंटा जा रहा है। और अब खा-पीकर रास्ते में आराम करने के लिये भी तो जगह चाहिये। उस जगह पर बनेगा क्या, ठंडे-गरम पानी के हमाम, शौचालय? यानी दर्शन से पहले और बाद में आराम के लिये आपके नाम पर सब कुछ होगा।
भगवन, ज़रा सी ज़मीन के लिये कोहराम मचाने वाले और उस ज़मीन पर आरामतलबी करने वाले भक्त भी आपके दर पर आयेंगे तो आप उनको भगा तो नहीं देंगे लेकिन कुछ ऐसा चक्कर तो चला सकते हैं कि वो इंसानियत सीख कर लौटें। किसी को जन्म देना तो उनके बस में नहीं होगा लेकिन मौत के हरकारे तो ना बनें।
भगवन, ध्यान रखना। देश का एक हिस्सा जल रहा है। अब कान्हा की तरह लीला करना छोड़िये और अपने कलयुगी गणों की मति फेरिये। बरसों बाद अमन का मौका आया है देश में, उसे बना रहने दीजिये। अगले सोमवार को जब आपके दर्शन करने आउंगा तब आपसे पूछूंगा इस बारे में। इतने सारे लोगों के सामने आप बोलेंगे नहीं मुझे पता है लेकिन मैं तो आपके मन की और मौन की भाषा भी जानता हूं। कलयुग में पैदा हुआ हूं लेकिन कलयुगी नहीं हूं।

16 comments:

sanjeev said...

भगवान अगर झांककर देख रहे होंगे तो उन्हें सचमुच में बड़ा गुस्सा आएगा। अपने इन कथित भक्तों पर वह कितना नाराज होंगे, इसका अंदाजा इन भक्तों को भी नहीं है। सच बात तो ये है कि ये भक्त कुछ राजनीतिक ताकतों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं। इनका विवेक लुप्त हो गया है। भोले बाबा इन्हें क्षमा करना व सद् बुद्धि देना।

Anonymous said...

आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम, आज कल वो इस तरफ़ देखता है कम।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम, आज कल वो इस तरफ़ देखता है कम।

राज भाटिय़ा said...

कांबड़ यात्रा,वालो से पहले भगवान हिसाब मांगे गे, फ़िर बाकी बाते बाद मे,
आप ने बहुत ही सुन्दर लेख लिखा हे, लगता हे आज कल भगवान छुट्टियो पर गये हे,
धन्यवाद

Anonymous said...

सच लिखने के लिये सादर चरण स्पर्श।

Anonymous said...

BHOLE KE NAAM PATI, BADHAI SWIKAR KARIN YAYATI,KHAN HO BHOLE. KAB TAK BARSINGE KASHMIR ME GOLE.
DR.BHANU PRATAP SINGH, AGRA

Anwar Qureshi said...

काश सच में भगवान् निचे झाक के देख ले ..अच्छा लिखा है आप ने धन्यवाद ..

शैलेश भारतवासी said...

राग-रसोई जी,

बढ़िया लिखा है। आपके व्यंग्यों में धार है। आपके दोनों पोस्ट पढ़कर तो यही लगता है कि आपसे बढ़िया-बढ़‌िया कटाक्ष पढ़ने को मिलेंगे।

Anonymous said...

Hai Bhagvan,
Is bhakt kee pukaar gaurse sunanaa.

बालकिशन said...

बहुत अच्छा लिखा आपने.
आपकी शैली बहुत ही रुचिकर है.
पढ़ कर अच्छा लगा.

ALOK PURANIK said...

जमाये रहियेजी।

रंजन राजन said...

आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा।
.लेकिन कुछ ऐसा चक्कर तो चला सकते हैं कि वो इंसानियत सीख कर लौटें... आपकी शैली बहुत ही रुचिकर है। बधाई।

padma rai said...

सब कुछ तो भगवान का ही खेल है . हमेशा से यही सुना है कि उसकी इच्छा के बिना कुछ नहीं होता.

Anonymous said...

हरि भाई,
नमस्कार
आप भी यहां होंगे. सोचा न था. फोटो देखकर बड़ा अच्छा लगा. याद आया मेरा चेहरा. शायद नहीं. आप, मैं और बलदेव भाई शर्मा जी पंचकूला के जटायु में रुके थे. अगली सुबह मनसा देवी के दर्शन किए थे. चंडीगढ़ अमर उजाला का मेरा यह पहला दिन था. बलदेव भाई यहां नोएडा से छोड़ने आए थे.
मुकुंद

ओमप्रकाश तिवारी said...

सच बात तो ये है कि ये भक्त कुछ राजनीतिक ताकतों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं।

ARVIND KUMAR SINGH said...

pandit ji
pati chahe bholeji ke naam likhie ya kisi aur ke naam,lekin bhejie daak se hi.
arvind kumar singh

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