Sunday, February 15, 2009

प्‍यार का उपहार!

मेरठ की एक ममता प्रेम दिवस पर मौत की नागिन बन गई। वेलेंटाइन डे पर घर आए प्रेमी को उसने अपनी आगोश में लेकर सल्‍फास खिला दिया। प्रेमी को क्‍या पता था कि उसकी माशूका उसे प्रेमपूर्वक आंख बंद कर उसके मुंह में जो पुडि़या डाल रही है वह उसकी मौत का सामान है। जी हां! ये कोई फिल्‍मी कहानी, धारावाहिक या उपन्‍यास अंश नहीं है बल्कि एक सीधी-सच्‍ची प्रेम कथा है जिसमें वेलेंटाइन डे पर प्रेमिका के घर मिलने गए प्रेमी ने जब अपनी प्रेमिका को बताया कि उसकी शादी तय हो गई है और अब उसे घरवालों की इज्‍जत के लिए शादी करनी पड़ेगी तो प्रेमिका ने उस बांसुरी को ही तहस-नहस करने का फैंसला लिया जिसके सुरों की आ‍सक्ति में वह मंत्रमुग्‍ध हो कर थिरकन महसूस किया करती थी।
ममता एम कॉम कर रही है और उसका प्रेमी किशन गुप्‍ता पॉलीथिन का कारोबारी था। चार साल से उनके बीच प्रेम की पींगे चढ़ रही थी। दोनों के घर वाले उनके प्‍यार की पींगों से अंजान थे। लुका-छिपी के साथ चल रही प्रेम कहानी में प्रेमी चांद-तारे जमीं पर लाने के ख्‍वाब दिखा रहा था और लड़की को आंख बंद कर भी हरियाली ही नजर आती थी। इसी तरह चार साल बीत गए। किशन व्‍यापारिक घराने वाले परिवार से ताल्‍लुक रखता था तो ममता के पिता रक्षा मंत्रालय में सहायक लेखा अधिकारी थे। बीते शनिवार यानी वेलेंटाइन डे को ममता के पिता अपनी पत्‍नी के साथ किसी काम से घर से बाहर गए। उनसे पहले उनकी दूसरी बेटी अपने ऑफिस जा चुकी थी। घर में अकेले ममता थी जो ऐसे ही वक्‍त का इंतजार कर रही थी। उसका प्रेमी भी व्‍याकुल था; लिहाजा सूचना मिलते ही ममता के पास चला आया। दोनों के बीच कथित प्रेम फिर परवान चढ़ने लगा। घर में अकेले दो युवा दिल धड़कते रहे लेकिन इसी बीच किशन ने जब ममता को बताया कि उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी है और वह घर वालों से विद्रोह करने की हैसियत में नहीं है तो ममता का दिल धक रह गया। उसके कलेजे में आग धधकने लगी। गुस्‍से में उसने किशन के दोनों मोबाइल तोड़ दिए। किशन ने ममता का गुस्‍सा शांत करने की कोशिश की लेकिन ममता के अंदर ज्‍वालामुखी धधक रहा था। किशन को धीरे-धीरे ममता शांत होते नजर आई तो उसने उसे स्‍वीटी सुपारी भेंट की लेकिन स्‍वीटी सुपारी खाने से पहले उसने किशन को बांहों में लेकर आंख बंद कर मुंह खोलने को कहा। ममता बोली कि तुम्‍हारी सुपारी मैं बाद में खाउंगी, उससे पहले तुम मेरी सौगात खाओ। किशन ने आंख बंद कर मुंह जैसे ही खोला वैसे ही ममता ने सल्‍फास की पुडि़या उसके मुंह में उड़ेल दी। पुडि़या के साथ-साथ कोल्‍ड ड्रिंक मुंह में डाला और जब तक किशन के कुछ समझ में आता ममता कमरे से बाहर निकलकर उस कमरे को बाहर से बंद कर चुकी थी। इसके बाद जब ममता ने कमरा खोला तो किशन निढाल हो चुका था।
शाम को चार बजे के आसपास जब ममता के माता-पिता लौटे तो ममता का कमरा बंद था। ममता के हाव-भाव देखकर उन्‍हें शक हुआ तो वह ममता के कमरे में घुसे और वहां का नजारा देखकर हतप्रभ रह गए। कमरे में किशन का शव पड़ा था और फर्श उल्टियों से गंदा हो चुका था। कुछ देर तक ममता के पिता को यह समझ में नहीं आया कि क्‍या करें। फिर उन्‍हें जब माजरा समझ में आया तो एक लाचार बाप खड़ा था। बेवस बाप क्‍या करता; ममता की मां के साथ मशीनी गति से घर का फर्श साफ कर अस्‍त-व्‍यस्‍त कमरे को ठीक किया और फिर पुलिस को सूचना दी कि उनके घर में एक शव पड़ा है। कुछ देर में ही शव की शिनाख्‍त हो गई और किशन के घर वालों को सूचित किया गया तो वह विफर पड़े और उन्‍होंने ममता और उनके घरवालों के खिलाफ हत्‍या का मामला दर्ज कराया। ममता के मां-बाप ने सफाई दी कि वह सुबह से ही घर से बाहर थे और मृतक को पहली बार उन्‍होंने देखा है। उन्‍होंने ममता के हवाले से ये भी कहा कि युवक ने खुद ही जहर खाकर आत्‍महत्‍या की है।
सच क्‍या है ये तो सिर्फ ममता ही जानती है या अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका किशन। पुलिस के मुताबिक ममता ने जो सच पुलिस के सामने उगला है फिलहाल तो पुलिस उसी सच को सही मान रही है। और वह सच आप पढ़ चुके हैं। ममता के साथ पुलिस ने उसके माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया है। ममता को हत्‍या के अपराध में और उसके माता-पिता को घटित अपराध के साक्ष्‍य मिटाने और षड्यंत्र में भागीदारी करने के आरोप में सींखचों के पीछे डाल दिया गया है।
ये एक ऐसी घटना है जो कई सवाल खड़े करती है। पहला सवाल क्‍या ममता और किशन में प्‍यार था? क्‍या कोई अपने प्रेम का इस तरह अंत कर सकता है? सल्‍फास एक ऐसा कीटनाशक है जो हवा के संपर्क में आते ही तेज दुर्गंध छोड़ता है तो क्‍या कोई व्‍यक्ति आंखें बंद होने पर भी निगल सकता है? तो फिर क्‍या ये ऐसा सच है जो पुलिस थाने में गढ़ा गया है? अगर ये सचमुच सच है तो क्‍या नए जमाने की स्‍त्री प्रेम और प्रतिशोध की नई परिभाषाएं लिख रही है? क्‍या हम इसे वैचारिक और नारी स्‍वतंत्रता की परि‍णति मान सकते हैं? मुझे तो कुछ सूझ नहीं रहा अगर आपको कुछ सूझ रहा हो तो जरूर बताईएगा।

28 comments:

Anonymous said...

स्‍त्री के चरित्र को तो बह्मा भी नहीं पहचान पाए तो हम और आप क्‍या चीज हैं।

राज भाटिय़ा said...

यह प्यार नही था, क्योकि प्यार कभी भी बदला नही चाहता, यह तो एक तरह से ....
लेकिन इन बातो से कोन शिक्षा लेगा ???

धन्यवाद

Vinay said...

किसी का चरित्र कोई नहीं बता सकता, हम एक ही बात क्यों करें!

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] said...

नये जमाने का प्यार ऐसा हीं होता है।

sanjeev said...

मामला संदिग्‍ध है। ये संभव नहीं कि कोई व्‍यक्ति न चाहते हुए भी सल्‍फास जैसी बदबुदार चीज को निगल जाए। वैसे भी पुलिस किसी से भी कुछ भी कहलवा सकती है। गधे को हाथी और चूहे को शेर बता सकती है।

P.N. Subramanian said...

कहानी तो जोरदार है. क्या हुआ था यह तो न आप जानते हैं न पुलिस. ममता को तो मालुम होगा ही.

Asha Joglekar said...

अजीब दास्ताँ है ये ।

Anonymous said...

गुरु जी.. ममता का ये कदम प्यार का नतीजा नही है.. प्यार का मतलब त्याग होता है लेकिन शायद आज के युवा इस बात को भूल चुके हैं. ममता ने जिस तरह से अपने प्रेमी किशन की हत्या की और वैलेंटाइन डे पर मौत का तोहफा दिया हो सकता है इसका प्रतिकूल असर समाज में देखने को मिले.

ghughutibasuti said...

जो भी हुआ अन्त दुखद हुआ। आशा है कि सच पता चलेगा और यदि ममता दोषी है तो सजा पाएगी। यह प्रेम था या नहीं तो बाद की बात है परन्तु सबसे पहले तो यह सोचना होगा कि यदि यह हत्या थी तो क्या हत्या सही हो सकती है?
घुघूती बासूती

Anonymous said...

जो भी हुआ अन्त दुखद हुआ। मामला संदिग्‍ध है।

निर्मल गुप्त said...

अब तक ११ कमेन्ट आए हैं -सबके सब पुरषों के.
महिलाओं को यह होल्नांक दास्ताँ कमेन्ट करने
योग्य नहीं लगी या वे हतप्रभ हैं -कौन जाने.
शायद प्रेम की इस प्रकार की परिणिति पर
हर कई अवाक् है..हमे अपने व्यव्हार के
लिए कई तो सीमा-रेखा तय करनी ही
होगी--इससे पूर्व की कोई तालिबान
बजरंगी नैतिकता का हंटर फटकारता
आए.निर्मल गुप्त

निर्मल गुप्त said...

अब तक ११ कमेन्ट आए हैं -१ को छोड़ कर सब पुरषों के.
महिलाओं को यह होलनांक दास्ताँ कमेन्ट करने
योग्य नहीं लगी या वे हतप्रभ हैं -कौन जाने.?
शायद प्रेम की इस प्रकार\ की परिणिति पर
हर कोई अवाक् है..हमे अपने व्यव्हार के
लिए कोई तो सीमा-रेखा तय करनी ही
होगी--इससे से पूर्व की कोई तालिबान
बजरंगी नैतिकता का हंटर फटकारता
आए.निर्मल गुप्त

bijnior district said...

अपने घर पर बुलाकर जहर देने की बात गले नही उतरती। दूसरे युवक ने घटना के दिन ही तो रिशते की बात बताई, फिर उसी समय सल्फाज कहां से आ गया! दूसरे सल़फाज में इतनी बदबू है कि आदमी स्वंय नही खा पाता। दूसरे का दिया कैसे खा लिया। सल्फाज की बोली आम गोली से बडी होती है, एसे सरलता से नही खाई जा सकती । सल्फाज देना था तो घ्रर के मुकाबले होटल आदि ज्यादा उपयुक्त जगह थी! पुलिस की कहानी गले नही उतर रही।

कडुवासच said...

... इतने दूर से प्रतिक्रिया देना उचित प्रतीत नही होता!

संजीव said...

Darasal, aajkal police aisi story press ko jari karti hai jo Tv ke liye badhiya script sabit hoti hai. Lekin aap bhi jante hai ki haqiqat kuchh aur hoti hai. Is mamle me bhi aisa kuchh ho sakta hai to ashcharya nahi. vise likha aapne bahut achha...badhai.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बात चरित्र की नहीं है, धोखे की है, कारण कुछ भी रहा हो, वह लड़की उसे इतना चाहती होगी कि उसका इनकार स्वीकार नहीं कर पायी. यह भी प्रेम का ही एक उलटा रूप है.

बाल भवन जबलपुर said...

अच्छा लगा जोशी जी
साधू साधू

बाल भवन जबलपुर said...

यह एक तरह से किसी मनोरोग का भयंकरतम् उदाहरण है इससे नारी के प्रति धारणा न बदले
वैसे प्रेम था भी की नहीं इस बात का अंदाज़ नहीं लगाया जा सकता
शायद ममता एक संत्रास का अंत करना चाह रही हो ....?
प्रेमी केवल उसे उपयोग कर उपेक्षा कर देता रहा हो ?

डॉ .अनुराग said...

दुखद है....क्रोध ओर आवेश में मनुष्य विवेक खो बैठता है.

seema gupta said...

"प्यार का घिनोना अंत है.....प्रेम जैसे पवित्र शब्द क्या किसी के जीवन के अंत ...... बहुत दुःख हुआ पढ़कर...सत्य क्या है ये तो ममता ही जानती है...और अगर सच में ही वो दोषी है ....तो लानत है ऐसे प्यार पर....प्यार हमेशा ही त्याग की भावना से जाना जाता है.....जहाँ तक मेरा दिल कहता है....ये गुस्से और आवेश में लिया गया फ़ैसला है.....आज ममता जरुर अपने फैसले पर दुखी होगी और पश्चाताप की आग में जल रही होगी....."

Regards

इरशाद अली said...

कल हरियाणा रोडवेज में सफर कर रहा था। बस में भीड़ बहुत थी। टिकट वाले ने एक आधुनिक सी दिखने वाली लड़की को कहा अपना टिकट लिजिए और आगे बढ़िए। औरो को जगह दिजिए। उसका ये कहना जुल्म हो गया। 36 बातें उस लड़की ने जोर-जोर से उस टिकट वाले को सूनाई कि उसकी हिम्मत कैसे हुई कि वह उसको कहे आगे बढ़िये। सारी सवारियां एकटक देखती रही। कोई कुछ ना बोला। यहां से शुरू होता है वैचारिक और नारी स्वतन्त्रंता का अभियान। देखिये ये तो तय है कि दोनो के बीच कुछ नही, बहुत कुछ था। किशन प्यारे का ममता जी को टाटा बाॅय-बाॅय कहना इतना अखर गया कि वे बेचारी कुछ ज्यादा स्वतन्त्र हो गई। उन्होने हत्या की या नही कि ये तफतीश का मामला है लेकिन वैचारिक स्वतन्त्रा का मामला कुछ ऐसा हो गया है कि चोट खाया आदमी अपने होशो हवास खोकर कुछ भी कर सकता हैं।

admin said...

शायद यह उपभोक्तावादी संस्कृति का असर है कि अब युवा मन अपनी हार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करना चाहते।

नीरज गोस्वामी said...

हरी भाई आप सच कह रहे हैं सल्फास में क्यूँ की सल्फर होता है जिसकी गंध तीव्र होती है और जिसे खाना इतना आसान नहीं होता...असलियत क्या है ये कोई कैसे जान सकता है...आज के दौर में सहनशक्ति तो रह ही नहीं गई है...ना ही कोई माप दंड रह गए हैं शराफत के...

नीरज

Mumukshh Ki Rachanain said...

शायद सच ही है कि " नए जमाने की स्‍त्री प्रेम और प्रतिशोध की नई परिभाषाएं लिख रही है"
नया ज़माना, नए लोग, ग्लोबल विकृत संस्कृति, हर चीज़ सहज ही पा लेने की मानसिकता के मद्देनज़र ,
उपरोक्त में मैं एक परिवर्तन का आकांक्षी हूँ कि मात्र नारी ही नही बल्कि पुरूष भी नई परिभाषाओं को गढ़ने में कही भी पीछे नही हैं.

चन्द्र मोहन गुप्त

अनुपम अग्रवाल said...

गज़ब की सिहरन भरी दास्तान .

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

भाई हरी जी ,
पढ़ कर विश्वाश नहीं होता की एक नारी
जिसे जन्मदात्री ,श्रृष्टि कर्त्री ,मां..कितने ही
नाम दिए गए हैं वो ऐसा भी कर सकती है
वह भी अपने प्रेमी के साथ ...लेकिन सच क्या है ये तो अभी आगे पता चलेगा .
अपने मुझे इतना बड़ा सम्मान दिया ..ये मेरा
सौभाग्य है .
शुभकामनाओं के साथ.
हेमंत कुमार

Anonymous said...

Joshi ji ye koi nai bat nahi hai. peyar mey choot khai ladki ki halat nagin jasi hoti hai. purv mey bhi es tharha ki ghatnaye perkash mey ai hai. kahi peyar ko paney key ley katl hota hai, kahi peyar karney walo ka katal hota hai to kahi peyar mey har mankar katal hota hai.ladki ney jis ajadi kal labh apne armano ko pura karne mey leya wahi azadi pure parivar key ley kal ban gai. yesi hi hoti hai *MiSS MURDER* Nitin Sabrangi.

Anonymous said...

Joshi ji ye koi nai bat nahi hai. peyar mey choot khai ladki ki halat nagin jasi hoti hai. purv mey bhi es tharha ki ghatnaye perkash mey ai hai. kahi peyar ko paney key ley katl hota hai, kahi peyar karney walo ka katal hota hai to kahi peyar mey har mankar katal hota hai.ladki ney jis ajadi kal labh apne armano ko pura karne mey leya wahi azadi pure parivar key ley kal ban gai. yesi hi hoti hai *MiSS MURDER* Nitin Sabrangi.

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