Saturday, October 11, 2008

जुग –जुग जियो समाजवाद !

रामेश्‍वर काम्‍बोज 'हिमांशु' ने हमें बत्‍तीस साल पहले लिखी गई एक कविता भेजी है। लघुकथा लेखन में सक्रिय रामेश्‍वर की ये कविता आज और अधिक प्रासंगिक है। उन्‍होंने ये कविता तब लिखी थी जब वह उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक हाई स्‍कूल में शिक्षक थे। देश की तत्‍कालीन परिस्थितियां डरा रहीं थीं लेकिन तब से अब तक लंबी यात्रा तय कर चुके रामेश्‍वर काम्‍बोज 'हिमांशु' मानत हैं-- "आज से 32 साल पहले बेईमान आदमी सबकी आँखों में खटकता था; आज ईमानदार आदमी सबकी आँखों का काँटा बन जाता है ।"
 
 
भ्रष्टाचार, ब्लैक मार्केट ,गुण्डागर्दी जिन्दाबद !
जुग–जुग जियो समाजवाद !
कालूराम जी ने एक दिन ,बहुत मुझे ये समझाया ।
काले धन और काले तन की बहुत पूछ ये बतलाया।।
काले थे कृष्ण जी देखो दुनिया में पूजे जाते ।
काला धन कमाने वाले ईश्वर से न घबराते ॥
भेंट और पूजा लिए बिना,
अफ़सर भी सुनता नहीं फ़रियाद।
जुग–जुग जियो समाजवाद !
पुलिस डकैती में शामिल है ,नेता जी ऐसा हथियार।
सत्य और न्याय की हत्या करने में हरदम तैयार ॥
खाने –पीने की चीज़ों में भी मिलावट का है राज ।
धन कमाना सेवा करना एक पंथ और दो-दो- काज ।।
घूम रहे सड़कों पर नंगे
रिश्वत रानी और अपराध
जुग–जुग जियो समाजवाद !
बिना सहारा लिये चमचों का हो नहीं पाता कोई काम।
स्वर्गलोक की बात दूर है,सिफ़ारिश से मिलता नरकधाम ॥
दफ़्तर में जाकरके देखो-बड़े बाबू जी ऊँघ रहे ।
उनके गुर्ग़े हर असामी की जेबों को सूँघ रहे ॥
जो हो रहा सो ठीक हो रहा,
क्योंकि अब भारत आज़ाद ।
जुग–जुग जियो समाजवाद !
(रचनाकाल :29 जून 1974)

10 comments:

डॉ .अनुराग said...

उनको भरम था जोशी जी ,ईमानदार तब भी खटकता था ओर आज भी.....अलबत्ता तब ईमानदार होना एक गुण था अब अवगुण है .......
वैसे अब समाजवाद बदल गया है ....मुलायम ओर अमर सिंह जैसे लोग इसके लम्बारदार जो बन गये है.
कविता अच्छी है.

निर्मल गुप्त said...

joshiji,
kavita bhadia hai.imandai ka aaj kai matlab nahin.nirmal

Dr.Bhawna Kunwar said...

Bahut achi rachna ha bahut bahut badhai

Amit K Sagar said...

Very Nice One.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना प्रेषित की है।बधाई।

Anonymous said...

हुजूर नमस्कार,
आपने याद रखा. शुक्रिया. एक अच्छी कविता पढ़ने को दी आपने. मैं अब अमर उजाला में नहीं, चंडीगढ़ में ही पिछले डेढ़ साल से दैनिक भास्कर में हूं. अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भेज रहा हूं.
09914401230, 09914519123
g.mukund @ cph.bhaskarnet.com

pallavi trivedi said...

bahut achchi kavita prastut karne ke liye shukriya...

Rajesh Roshan said...

कविता मधुर भंडारकर की फिल्‍म की तरह सच्‍चाई दिखा गई.

लोकेश Lokesh said...

घूम रहे सड़कों पर नंगे
रिश्वत रानी और अपराध

वाह।

sandeep said...

sunil kataria ne cable network per punjab me jo govt ki tanashahi chal rahi hai mudda uthaya hai.ek jabardast pahal ki hai pls ise thodi or jagah de apne news paper me

पुरालेख

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