बारिशों की फुहार लगती हो|
गुलशनों की बहार लगती हो|
इस जमाने की सख़्त गर्मी में|
तुम महकती बयार लगती हो||
सोज़ हो, साज़ हो, तुम्हीं सरगम|
ताल हो, थाप हो, तुम्हीं छमछम|
हाथ में थामे हुस्न का परचम|
तुम ही दिल का करार लगती हो||
शान तुम से हरेक महफ़िल की|
तुमसे वाबस्ता धड़कनें दिल की|
तुमसे मिल के ये ज़िंदगी किलकी|
तुम दवा-ए-बीमार लगती हो||
तुम शिकारी, शिकार भी हो तुम|
तुम अनाड़ी, हुशार भी हो तुम|
तुम नशा हो, खुमार भी हो तुम|
एक हो, पर हज़ार लगती हो||
किलकी = किलक / खिलखिला उठी
दवा-ए-बीमार = बीमारी का इलाज़ करने वाली दवा
हुशार = होशियार [तद्भव रूप में]
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