Friday, May 24, 2019

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कविता : भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं

भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं।
उसे तबतक घूरो
जब तक तुम्हारी आंखें
सुर्ख हो जाएं।

और तुम कर भी क्या सकते हो
जब वह तुम्हारे सामने हो?

Monday, May 20, 2019

hindi poem whatsapp status, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता जब सब बोलते थे



कविता : पिछड़ा आदमी

जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था,
जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था,
जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था,
जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था
लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया।

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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