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Saturday, June 13, 2020

इस शनिवार सुनते हैं निराला जी की लघुकथा सौदागर और कप्तान




इस शनिवार इर्द-गिर्द पर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की हिंदी कहानी सुनिए। हिंदी साहित्य के पुरोधा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी सुनाना शुरू करूं, उससे पहले यह बताना उचित ही होगा कि निराला जी महाकवि ही नहीं बल्कि कथा सम्राट भी थे। चलिए सुनते हैं उनकी लिखी लघुकथा- सौदागर और कप्तान। इस कहानी के मर्म में विपत्ति का अभ्यास वर्णित है।

Classic YouTube channel Ird Gird present a short story in Hindi by Suryakant Tripathi Nirala. Nirala Ji Ki likhee Laghukatha Suniye.



सौदागर और कप्तान / सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

एक सौदागर समुद्री यात्रा कर रहा था, एक रोज उसने जहाज के कप्तान से पूछा, ”कैसी मौत से तुम्हारे बाप मरे?”

कप्तान ने कहा, ”जनाब, मेरे पिता, मेरे दादा और मेरे परदादा समंदर में डूब मरे।

सौदागर ने कहा, ”तो बार-बार समुद्र की यात्रा करते हुए तुम्हें समंदर में डूबकर मरने का खौफ नहीं होता?”

बिलकुल नहीं,” कप्तान ने कहा, ”जनाब, कृपा करके बतलाइए कि आपके पिता, दादा और परदादा किस मौत के घाट उतरे?”

सौदागर ने कहा, ”जैसे दूसरे लोग मरते हैं, वे पलंग पर सुख की मौत मरे।

कप्तान ने जवाब दिया, ”तो आपको पलंग पर लेटने का जितना खौफ होना चाहिए, उससे ज्यादा मुझे समुद्र में जाने का नहीं।

विपत्ति का अभ्यास पड़ जाने पर वह हमारे लिए रोजमर्रा की बात बन जाती है।


Friday, May 29, 2020

हिंदी कविता क्या कभी सोचा है कि क्या है कोरोना




क्या है कोरोना? हिंदी कविता क्या कभी सोचा है के जरिए अनुराधा सरीन का सवाल है कि क्या प्रकृति को बचाने की दवा है कोरोना!  कई धारावाहिकों की निर्मात्री अनुराधा का दर्शन है कि हर माँ को अपने बच्चों को समझाने और सुधारने का तरीका आता है। प्रकृति हम सब की माँ है। पालनहार है। पर हम सताते हैं उन जीवों को पल पल हम, जो प्रकृति का अंग हैं।
एक वायरस ने पूरी दुनिया की जान सांसत में डाल रखी है। कोरोना यानी कोविड-19 के खौफ से हर आदमी परेशान है। पर सोचिए कि प्रकृति को बचाने या संतुलन कायम रखने के लिए क्या प्रकृति की दवा है कोरोना। इर्द-गिर्द में अनुराधा सरीन को सुनिए।

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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