इस
शनिवार
इर्द-गिर्द पर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की हिंदी कहानी सुनिए। हिंदी साहित्य के पुरोधा सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानी सुनाना शुरू करूं, उससे पहले यह बताना उचित ही होगा कि निराला जी महाकवि ही नहीं बल्कि कथा सम्राट भी थे। चलिए सुनते हैं उनकी लिखी लघुकथा- सौदागर और कप्तान। इस कहानी के मर्म में विपत्ति का अभ्यास वर्णित है।
Classic YouTube channel Ird Gird present a short
story in Hindi by Suryakant Tripathi Nirala. Nirala Ji Ki likhee Laghukatha
Suniye.
सौदागर
और
कप्तान
/ सूर्यकांत
त्रिपाठी
निराला
एक
सौदागर
समुद्री
यात्रा
कर
रहा
था,
एक
रोज
उसने
जहाज
के
कप्तान से पूछा, ”कैसी मौत से तुम्हारे बाप मरे?”
कप्तान ने कहा, ”जनाब, मेरे पिता, मेरे दादा और मेरे परदादा समंदर में डूब मरे।”
सौदागर
ने
कहा,
”तो
बार-बार समुद्र की यात्रा करते हुए तुम्हें समंदर में डूबकर मरने का खौफ नहीं होता?”
”बिलकुल नहीं,” कप्तान ने कहा, ”जनाब, कृपा करके बतलाइए कि आपके पिता, दादा और परदादा किस मौत के घाट उतरे?”
सौदागर
ने
कहा,
”जैसे
दूसरे
लोग
मरते
हैं,
वे
पलंग
पर
सुख
की
मौत
मरे।”
कप्तान ने जवाब दिया, ”तो आपको पलंग पर लेटने का जितना खौफ होना चाहिए, उससे ज्यादा मुझे समुद्र में जाने का नहीं।”
विपत्ति
का
अभ्यास पड़ जाने पर वह हमारे लिए रोजमर्रा की बात बन जाती है।
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