Wednesday, June 17, 2020

हिंदी कविता सुनिए तालों के मुंह पर ताले हैं, क्या इस बार लौट कर आएंगे प...




इर्द-गिर्द पर अजय शर्मा से हिंदी कविता सुनिए- तालों के मुंह पर ताले हैं। उनकी गलियों में सन्नाटा है। लॉकडाउन में पलायन का सच है कि सारी गलियां हैं सूनी। कब तक भूखे रहते इसलिए मेहनतकश इस बार नंगे पांव भागे हैं। अहम सवाल उठाया है वरिष्ठ पत्रकार/कलमकार अजय शर्मा ने कि प्रवासी मजूदूर और हुनरमंद कारीगर क्या इस बार लौट कर आएंगे?
Classic YouTube hindi channel Ird-Gird present one of the best heart touching Hindi poem on lockdown's problems. This Hindi Poem on lockdown by Senior Journalist Ajay Sharma.

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