Thursday, December 5, 2019

2 Hindi Ghazals by Most Popular Hindi Poet Adam Hindi, अदम गोंडवी की दो ...





अदम गोंडवी की दो हिंदी ग़ज़लें इर्द-गिर्द में प्रस्तुत हैं। अदम साहब की कविताएं या ग़ज़लें एक ऐसा कालजयी आईना हैं जिनमे राजनीति और मुल्क के हालात निर्वस्त्र नजर आते हैं।
आम आदमी के हक़ में उनकी कलम ने हमेशा शोषण के खिलाफ आग उगली। सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ उनका काव्य सृजन हिंदी साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदी में ग़ज़ल को उन्होंने दुष्यंत कुमार के तेवरों को आगे बढ़ाया। हरि शंकर जोशी से सुनिए उनकी 2 हिंदी ग़ज़लें।

………….

हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये

हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये

ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये

हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये

छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये

Hindu ya muslim ke ahsaasaat ko mat chhediye
Apni kursi ke liye jajbaat ko mat chhediye

Hum me koi hoon, koi shak, koi mangol hai
Dafn hai jo baat, ab us baat ko mat chhediye

Gar galtiyaan Babar ki thi, Jumman ka ghar phir kyon jale
Aese naazuk waqt mein haalaat ko mat cheediye

Hai kahan Hitlar, Halaakoo, Zaar yan Chngez khaan
Mit gaye sab, kaum ki aukaat ko mat chhediye

Chhediye ik jang, mil-jul kar gareebi ke khilaaf
Dost, mere mazhabi nagmaat ko mat chhediye

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे *जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है

*जिना =जबरन या अनुचित शारिरिक संबंध

Wo jiske haath mein chaale hai pairon mein biwaai hai
Usi ke dam se raunak aapke bangale mein aai hai

Idhar ek din ki aamdani ka ausat hai chawnni ka
Udhar laakhon mein Gandhi ji ke chelon ki kamaai hai

Koi bhi sirphira dhamka ke jab chaahe jina kar le
Hamara mulk is maane mein budhua ki lugaai hai

Roti kitni mahangi hai ye wo aurat bataaegi
Jisne jism girvi rakh ke ye keemat chukaai hai

No comments:

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

Back to TOP