Tuesday, July 23, 2019

Mirza Ghalib shayari with meaning in Hindi, video status



ग़ालिब के 5 कातिल शेर




कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर--नीम-कश को

ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

*तीर--नीम-कश=आधा घुसा तीर, *ख़लिश=चुभन


न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया  मुझ को  होने ने  होता मैं तो क्या होता


रगों  में  दौड़ते  फिरने  के  हम  नहीं  क़ाइल

जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है


उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो  समझते हैं कि  बीमार का हाल अच्छा है


ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल--यार होता

अगर   और  जीते   रहते    यही   इंतिज़ार  होता

*विसाल--यार=प्रेमिका, प्रेमी या दोस्त से मुलाकात

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