ये
सारे
लोग
अपने
अपने
घर
जाएंगे
ना
जाने
किस
जगह
पे
ये
बेघर
जाएंगे
मुफ्लिस
की
मुसीबत
कोई
क्या
जानें
रहेंगे
मुश्किल
में
चाहे
जिधर
जाएंगे
आग
पेट
की
खींच
लाएगी
सड़क
पर
मिलेगी
रोटी
जिधर
ये
उधर
जाएंगे
किसी
इशारे,किसी हुक़्म की खा़तिर
उधर
से
निकलेंगे
तो
इधर
जाएंगे
हालात
की
बेड़ियों
में
जकड़े
हुए
गरीब
जाना
चाहें
भी
तो
आख़िर
किधर
जाएंगे
ज़माने
गुज़रे,दौर बदले,बदले राजपाट
जाने
कब
हालात
इनके
सुधर
जाएंगे
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