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इर्द-गिर्द पर अपर्णा पात्रिकर की नई ग़ज़ल - अपना खस्ताहाल छोड़ो यार रहने दो। हिंदी ग़ज़ल शायरी में अपर्णा का नाम आज जाना-पहचाना है। दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल है उनकी यह प्रस्तुति। क्या खूब लिखा है- कोई मसला है अमन ओ आवाम का नीचे कालीन के उसे, दबा रहने दो। उम्मीद है हमारे दर्शकों/श्रोताओं को यह हिंदी ग़ज़ल पसंद आएगी।
Classic Hindi YouTube channel ird gird present a
hindi ghazal by Aparna Parrikar.
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हिंदी
ग़ज़ल
: अपना
खस्ताहाल
छोड़ो
यार
रहने
दो
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कोई
मसला
है
अमन
ओ
आवाम
का
नीचे
कालीन
के
उसे,दबा रहने दो
ये
महफ़िल
सफ़ेदपोशों
की
महफ़िल
है
दाग़
कोई
धब्बा
लहू
का,छुपा रहने दो
कसीदे
पढ़ते
जाओ
मुसलसल
शान
में
जो
जवाब
ओ
इल्ज़ाम
है,
उन्हे
रहने
दो
चाँद
ओ
सूरज,
कायनात
की
बातें
करो
ज़मीं
के
ये
फालतू
मसले,
बस
रहने
दो
सवाल
ए
तरक्की
पर
हाँ
में
गर्दन
हिलाओ
अपना
खस्ता
हाल,
छोड़ो
यार
रहने
दो
तुमसे
जो
मांगी
जाए
,मालूमात
फौरन
दो
RTI का तुम्हारी जवाब, मग़र रहने दो
तुम्हारा
काम
मुहँ
और
दिमाग
बंद
रखना
उनका
पेशा
है
लफ्फाज़ी,
उन्हे
रहने
दो
टेक्स
भरो,चालान कटवाओ,चंदा दो
पैसा
मैल
है,तो हाथ अपने साफ़ रहने दो
अपना
घर
जलाकर
तमाशा
देखने
में
साहब
है
मसरूफ
बहुत,
उन्हे
रहने
दो
लड़ते
फिरो
दिन
ओ
मज़हब
के
नाम
पर
भूख,
बेकारी,
महंगाई
बस
यार
रहने
दो
भूल
जाओ
सारे
वादे
इरादे
उनके
कहाँ
तक
उलझोगे,रहने दो बस रहने दो
बाहर
निकलेंगे
तो
ज़हर
उगलेंगे
बेतहाशा
सांप
आस्तिनों
के
आस्तीनों
के
अंदर
रहने
दो!!
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