Monday, December 6, 2010

होठों को जो देखें, कँवल, बेमौत मरते हैं

ए यार तेरे दर से हम जब भी गुजरते हैं|
कुछ बोल तो पाते नहीं, बस आह भरते हैं||

कानों की बाली चंद्रमा से होड़ करती है|
होठों को जो देखें, कँवल, बेमौत मरते हैं||

पलकें झुका कर के जभी तू मुस्कुराती है|
अल्ला कसम लगता है जैसे फूल झरते हैं||

दिल ने कभी का हालेदिल समझा दिया दिल को|
लब बोल ही पाते नहीं कि प्यार करते हैं||

नवीन सी चतुर्वेदी

9 comments:

ऋचा said...

बहुत खूब

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

आभार रिचा जी

babanpandey said...

BAHUT KHUB //

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

आभार बबन भाई

महेन्‍द्र वर्मा said...

ए यार तेरे दर से हम जब भी गुजरते हैं,
कुछ बोल तो पाते नहीं, बस आह भरते हैं।

प्यार की मधुर भावनाओं से सजी सुंदर ग़ज़ल।

महेन्‍द्र वर्मा said...

ए यार तेरे दर से हम जब भी गुजरते हैं,
कुछ बोल तो पाते नहीं, बस आह भरते हैं।

प्यार की मधुर भावनाओं से सजी सुंदर ग़ज़ल।

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

तारीफ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया महेद्र भाई|

ManPreet Kaur said...

bahut hi khoob likha hai , thodi shabdon ki likhawat galat hai, bura mat maaniyega...

mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

हरमन जी कृपया भूल को सुधार सहित यहाँ बताने की कृपा करें, मुझे अपनी ग़लती सुधारने का मौका मिलेगा| आभार उत्साह वर्धन के लिए|

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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