Sunday, March 31, 2019
जिंदादिल शायर की दिल को छू जाने वाली प्यार भरी शायरी
https://youtu.be/hDvbjRptXwQ
Sunday, March 17, 2019
होली की ठिठोली पर कविता, गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में
होली
की ठिठोली, कविता और शायरी में खूब झलकती है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र की होली पर लिखी हिंदी गीत कविता ‘गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार
होली में’ प्रेम के त्योहार की रंगीन कविता है। हिंदी में लिखी गई यह होली शायरी मन को प्रेम के रंगों से भिगो देती है।
की ठिठोली, कविता और शायरी में खूब झलकती है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र की होली पर लिखी हिंदी गीत कविता ‘गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार
होली में’ प्रेम के त्योहार की रंगीन कविता है। हिंदी में लिखी गई यह होली शायरी मन को प्रेम के रंगों से भिगो देती है।
आधुनिक
हिंदी के जन्मदाता और हिंदी नाटकों के सूत्रपात का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चंद्र को है। इर्द-गिर्द पर पढ़िए और सुनिए प्रेमऋतु के त्योहार होली की यह शानदार कविता-
हिंदी के जन्मदाता और हिंदी नाटकों के सूत्रपात का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चंद्र को है। इर्द-गिर्द पर पढ़िए और सुनिए प्रेमऋतु के त्योहार होली की यह शानदार कविता-
गले
मुझको लगा लो ऐ दिलदार
होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार
होली में
नहीं ये है गुलाले-सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे
ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार होली में
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में
है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है
बने हो ख़ुद ही होली तुम ऐ दिलदार
होली में
रस गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी
नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में
मुझको लगा लो ऐ दिलदार
होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार
होली में
नहीं ये है गुलाले-सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे
ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार होली में
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में
है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है
बने हो ख़ुद ही होली तुम ऐ दिलदार
होली में
रस गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी
नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में
Saturday, March 9, 2019
हिंदी कविता, चलो इस बार फिर से रंगों की होली मनाते हैं
अबीर,
गुलाल, टेसू का पानी
वोही अलख जगाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(1)
नफ़रत की गलियों में
कब तक सिर टकराएंगे
ना तुमको बैकुंठ मिलेगा
ना हम जन्नत को जाएंगे
फाड़ बरक्के बैर भाव के
प्यार की जिल्द बनाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(2)
युद्ध गीत और जंग तराने
सबकी भुजा फड़काएंगे
ठंडी, बुझती आग को ये तो
और..और भड़काएंगे
माफ़ करो नादान को वीरा
जब तक दम ......समझाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(3)
धांय-धांय और गोला बारी
कौन बहादुर सोता है
पापा पीटीएम में कब आओगे
उसका बच्चा भी रोता है
सरहद से कुछ दिन को ..
उसको भी leave दिलवाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(4)
यूएस, जर्मन, रूस, चाइना
क्या फतेह किसी की होती है
जो जीते हैं उनके यहां भी
ना जाने कितनी...अम्मा-बीवी रोती हैं
उनको बम टपकाने दो
हम तो फूल बरसाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
गुलाल, टेसू का पानी
वोही अलख जगाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(1)
नफ़रत की गलियों में
कब तक सिर टकराएंगे
ना तुमको बैकुंठ मिलेगा
ना हम जन्नत को जाएंगे
फाड़ बरक्के बैर भाव के
प्यार की जिल्द बनाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(2)
युद्ध गीत और जंग तराने
सबकी भुजा फड़काएंगे
ठंडी, बुझती आग को ये तो
और..और भड़काएंगे
माफ़ करो नादान को वीरा
जब तक दम ......समझाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(3)
धांय-धांय और गोला बारी
कौन बहादुर सोता है
पापा पीटीएम में कब आओगे
उसका बच्चा भी रोता है
सरहद से कुछ दिन को ..
उसको भी leave दिलवाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
(4)
यूएस, जर्मन, रूस, चाइना
क्या फतेह किसी की होती है
जो जीते हैं उनके यहां भी
ना जाने कितनी...अम्मा-बीवी रोती हैं
उनको बम टपकाने दो
हम तो फूल बरसाते हैं
For a change
चलो इस बार फिर से
रंगों की होली मनाते हैं।
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