Sunday, March 17, 2019

होली की ठिठोली पर कविता, गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में

होली
की ठिठोली, कविता और शायरी में खूब झलकती है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र की होली पर लिखी हिंदी गीत कवितागले मुझको लगा लो दिलदार
होली मेंप्रेम के त्योहार की रंगीन कविता है। हिंदी में लिखी गई यह होली शायरी मन को प्रेम के रंगों से भिगो देती है।




आधुनिक
हिंदी के जन्मदाता और हिंदी नाटकों के सूत्रपात का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चंद्र को है। इर्द-गिर्द पर पढ़िए और सुनिए प्रेमऋतु के त्योहार होली की यह शानदार कविता-

गले
मुझको लगा लो दिलदार
होली में

बुझे दिल की लगी भी तो यार
होली में



नहीं ये है गुलाले-सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे

ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार होली में



गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो

मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में



है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है

बने हो ख़ुद ही होली तुम दिलदार
होली में



रस गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी

नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में

पुरालेख

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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