सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की यह शानदार प्रेम कविता है। आनंद आ गया। पर आज के दौर में यह मनुहार कल्पित ही है। प्रभावित करता है आपका वाचन।
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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की यह शानदार प्रेम कविता है। आनंद आ गया। पर आज के दौर में यह मनुहार कल्पित ही है। प्रभावित करता है आपका वाचन।
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