Saturday, September 21, 2019

ghalib ghazal hindi, koi ummeed bar nahi aati

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मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल- कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती- इर्द-गिर्द में प्रस्तुत है। उर्दू शायरी हिंदी में बहुत लोकप्रिय है जिसमें ग़ालिब की शायरी का स्थान सर्वोच्च है। ग़ालिब की शायरी हिंदी में या कहिए कि हिन्दवी में स्टेटस वीडियो के लिए यह सर्वथा उपयुक्त है।
यहां ग़ज़ल को आप पढ़ भी सकते हैं। लिरिक्स को पढ़ने की अलग महत्ता है और सुनने की अलग।

ग़ज़ल हिंदी में

कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती

आगे आती थी हाल--दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

जानता हूँ सवाब--ताअत--ज़ोहद
पर तबीअत इधर नहीं आती

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती

क्यूँ चीख़ूँ कि याद करते हैं
मेरी आवाज़ गर नहीं आती

दाग़--दिल गर नज़र नहीं आता
बू भी चारागर नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

मरते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती


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