बापू के इस देश में, छाये हिंसक लोग|
जिस जानिब भी देखिए, बढ़ा द्वेष का रोग||
बढ़ा द्वेष का रोग, अजब संयोग बनाते|
जब चाहें, दीवाली, आदमख़ोर मनाते|
अत्याचार, अनीति बने सत्ता के टापू|
जान बचाने, फिर से आ जाओ ना बापू||
नवीन सी चतुर्वेदी
Thursday, December 23, 2010
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6 comments:
अहिन्सा का पुजारी इसी देश में हिन्सा का शिकार हुआ कैसी विडम्बना है....सुन्दर कविता....
सच है कुछ तो होगा अब
चंदर मेहर जी और प्रति भैया बहुत बहुत उत्साह वर्धन के लिए|
जनता को तो बापू ने तीन बंदर बना दिया ना वो देखती हे, ना इन्हे सुनती हे, ना इन्हे कुछ कहती हे, बस भुगत रही हे बापू की तरह..... अब इसे बापू नही...... नेता जी सुभाष चंद्र, भगत सिंह, ओर ऎसे नेता ही बचा सकते हे इन हराम खोरो चोरो से....... वर्ना देश गया नरक मे,
ACHCHHA LIKHTE HO LIKHA KARO. hamare blog par padharo
भाई राज भाटिया जी एवम् रोबाटिक्स जी आभार|
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