Sunday, March 15, 2009

आइए डाउनलोड करें

आकांक्षा पारे आज से इर्द-गिर्द पर जुड़ रही हैं। 18 दिसंबर 1976 को जबलपुर में जन्म आकांक्षा ने इंदौर से पत्रकारिता की पढ़ाई की। दैनिक भास्कर, विश्व के प्रथम हिंदी पोर्टल वेबदुनिया से होते हुए इन दिनों समाचार-पत्रिका आउटलुक में कार्यरत हैं। कई साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी-कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। पढि़ए आज उनकी एक चुटीली लेकिन विचारोत्‍तेजक रचना॰॰॰॰

डाउनलोड करने का खेल है बड़ा मजेदार। अगर कोई व्यक्ति डाउनलोड करना नहीं जानता तो वह निरा मूर्ख है। ऐसा मैं नहीं नई पीढ़ी कहती है। मोबाइल है, तो डाउनलोड करना आना ही चाहिए। एक से एक लेटेस्ट रिंग टोन, गाने, आवाजें और न जाने क्या-क्या। अब जब इतनी मेहनत होगी, तो इसका मजा अकेले उठाया जाए यह भी तो ठीक बात नहीं है न। तो फिर क्या करें। तो भैया, ये मोबाइल में जो फूलटू साउंड किसलिए दिया गया है। मोबाइल में अब बात कौन करता या सुनता है। यह या तो अब दूसरों के कान फोड़ने के काम आता है या फिर टिपिर-टिपिर मैसेज भेजने के। तुम कहां हो, मैं यहां हूं, खाने में क्या बना है, मिलना कहां है, फिल्म कौन सी देखनी है, पापा पास में खड़े है, फोन मत करो या फिर रात में मां जाग जाएगी इसलिए एसएमएस पर ही बात करो। यह सब मोबाइल पर ज्ञान का तड़का नहीं है। यह डाउनलोड यात्रा की प्रस्तावना है। हां तो खूब मेहनत कर के, पैसा खर्च कर के गाने डाउनलोड किए हैं, तो किसी को तो सुनाने पड़ेंगे न। यदि आप एअरकंडीशन कार में बैठ कर कहीं आने-जाने के आदी हैं, तो यह बात आपको वैसी ही समझ में नहीं आएगी, जैसे बेवाई न फटने पर समझ नहीं आती है। हां तो अपने वाहन में चलने वाले जरा पीछे हो जाएं। ब्लूलाइन, रोडवेज की बसोंऔर झोंगों में चलनेवालों को कृपया आगे आने दें।
इन तमाम सुविधा संपन्न साधनों में बैठते ही बस माला की शुरूआत हो जाती है। बस में बैठे नहीं कि जनता बताने लगती है कि नया गाना कौन सा है। किसी कोने में तेरा सरापा... का श्राप भी पूरा नहीं होता कि जिने मेरा दिल लुटिया की लूट शुरू हो जाती है। बस वाला मालिक है, इसलिए वह ऐसे कैसे पीछे रहेगा। उसका एफएम सरकारी है, सो ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना की तान छेड़ता रहता है। अगर गाना समझ न आए तो आपकी बला से। उसी वक्त ठीक बगल वाला जाग जाता है। आखिर वह कैसे आपको ऐसे ही बिना संगीत के रस में डुबाए छोड़ दे। उसने भी डाउनलोड किया है और सात रुपए प्रति गाने के हिसाब से अपना कैश कार्ड फूंका है। भीड़, पसीने और कंडक्टर की चकर-चकर के बीच कुछ भी कहिए आपको अगर तुम मिल जाओ सुनना ही पड़ेगा। अगर आप नहीं मिल पाते तो कम से कम उसे यह दिलासा तो रहे कि उसने आपको अपना पसंदीदा गाना तो सुना दिया। लड़कियां बगल में हों, तो मुंह से गाना गा कर छेड़ने में खतरा रहता है, लेकिन अब अगर मोबाइल में बजेगा, तो कोई मां की लाली क्या बिगाड़ लेगी, सिवाय घूरने के। बस में कोई सिंह हो न हो किंग सभी होते हैं। और कुछ न मिले तो नए-नए रिंग टोन ट्राय करने के बहाने बेकार ही शोर मचाते रहो। मोबाइल न हुआ जी का जंजाल हो गया। अब जब अगली बार आप नए गाने डाउनलोड करें तो यह मत भूलना कि आपकी भी कहीं इस आदत पर जय हो... हो हो रही होगी।

19 comments:

sanjeev said...

आपने भी एक रिंगटोन जैसी पोस्‍ट झिलवा दी। आपकी भी जय हो, जय हो....।

Anonymous said...

अच्‍छी पोस्‍ट लिखी है आपने। लोग अपनी जेब भी खाली कर रहें हैं और दूसरे झेलने को अभिशप्‍त हैं।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सही लिखा आपने.

रामराम.

राज भाटिय़ा said...

आप की पोस्ट पढ कर तो ऎसा लगा कि मै सचमुच मै किसी बस मै बेठ गया हूं, ओर सभी मुझे अपने अपने गीत सुना रहे है...
बहुत ही सुंदर ढंग से आप ने यह पोस्ट लिखी, पढ कर मजा आया हंसी भी आई.
धन्यवाद

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

हरी जी ,
आकांक्षा जी का चुटीला व्यंग्य पढ़वाने के लिए साधुवाद .
आकांक्षा जी को भी मेरी बधाई .
हेमंत कुमार

Anonymous said...

आकांक्षा का स्वागत. डाउनलोड कथा बड़ी सुन्दर थी. आभार.

आर. अनुराधा said...

आकांक्षा, इस एक और मंच पर आपका स्वागत!

अविनाश वाचस्पति said...

डाउनलोड अनंत

डाउनलोड कथा अनंता

आकांक्षा पारे ने

पारे की तरह

डाउनलोड को

कर दिया है डाउनलोड

यह लुक आउट नहीं है

लुक यह ताजा है।

अविनाश वाचस्पति said...

आकांक्षा अपनी झुग्‍गी में रास्‍ता बनाओ

पोस्‍ट लगाओ

हम भी आएंगे

वोट मांगने नहीं

पोस्‍ट पढ़ने

बिन मांगे राय देने

यही रिवाज भारत में आज है।

राजकिशोर said...

क्या दामिनी के साथ आपसे ही मुलाकात हुई थी 9

NKJ said...

Brilliant, evocative piece. Thank you, Akanksha.

सलीम अख्तर सिद्दीकी said...

aakakansha,
aapki post padhwane ke liye pahle to main joshi ji ka shukriya karonga. aapne theek kaha hai. sach hai. mobile jee ka janjaal ban gaya hai.

Manvinder said...

आकांक्षा, इस एक और मंच पर आपका स्वागत.....

अच्‍छी पोस्‍ट लिखी है ....बधाई .

बलराम अग्रवाल said...

यह बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है हम उन चीजों और बातों को रेखांकित करना सीखें जो जबरन हमारी जिन्दगी में घुसी चली आ रही हैं। आकांक्षा को इस जागरूकता के लिए बधाई।

विजय तिवारी " किसलय " said...

आकांक्षा जी
"आइए डाउनलोड करें" पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा
बधाई
- विजय

Anonymous said...

आकांक्षा जी वैसे तो मैं आपसे परिचित नहीं हूँ लेकिन मेरे आदरणीय गुरु जोशी जी के ब्लॉग में आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी अच्छा लगा.. अपने जिस हास्य व चुटीले अंदाज़ में मोबाइल के दुस्प्रभावो पर लिखा है वो विचार मंथन का विषय है.. उम्मीद है आपके लेख इसी तरह पढने को मिलते रहेंगे..

मोना परसाई said...

चुटीलापन और विचारोत्तेजना साथ साथ
क्या बात है,

डॉ. मनोज मिश्र said...

ज्ञानवर्धक पोस्ट

ज़ीरो ऑवर said...

Aakansha
Laga indore se mandsur jane wali bus ke safer ke kahani hai.achi hai

तकनीकी सहयोग- शैलेश भारतवासी

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